मंगलवार, 14 मई 2024

प्रेम का पलछिन

 होंठो पर उनके नमी थी, 

लड़खड़ाती ज़बा,

धीरे धीरे खुली थी,

कह रही थी,

अफसाने कई कई,

शरारते भी थी नई नई थी,

अज़ीब सी थी गहराईं आंखों में,

धड़कने भी बढ़ी बढ़ी सी थी,

डूब गए थे हम गहरी आंखों के समंदर में 

कुछ कुछ बाहर से कुछ कुछ दिल के अंदर से

दूरियों में भी नजदीकियां थी, 

ठहर सा गया था वो वक्त  , 

रिश्ता भी गहराता जा रहा था, 

हृदय प्रफुल्लित हो उठा था 

प्रेम के उस पलछिन में


By टायसन कुशवाह 

रविवार, 21 जनवरी 2024

राम मंदिर

राम ही नाम है, नाम ही राम है, 
राम ही राम है, राम ही राम है
वर्षो से है राम, 
वर्षो से थे राम, 
अनंत तक रहेंगे राम,
राम ही सत्य सनातन है,

बिता दिया छप्पर में एक युग कलयुग में,
शिखर मंदिर नही बन पाया था,
संयम बहुत था, 
जो राम तुमने पाया था, 
चौदह वर्ष त्रेता में वनवास बिताया
सैकड़ों वर्ष कलयुग में भी पाया था।

तैरते रहै राम नाम से 
पत्थर सागर में,
आज जन्म भूमि में 
रामभक्ति का सागर तैरा है,
जय श्री राम का उधघोष उठा है,
चारों ओर भगवा लहरा है,
सत्य सनातन श्रेष्ठ हो उठा है,
मंदिर में हुए विराजमान श्री राम, 
कलयुगी वनवास हटा है,

जय श्री राम 
टायसन कुशवाह

बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

10 मई कहा गई

हम थे तैयार, 
घोड़ी पर सवार, 
लाने को दुल्हनिया,
 मम्मी की बहुरिया, 
लेकिन घटा जाने क्यों बदल गई, 
10 मई को थी शादी हमारी,
 lockdown आया और आगे खिसक गई, 
कितनी बेसब्री थी मिलने की उनसे, 
वो और बड़ गई, 
वो दस मई जाने कहा गई, 
आया दिसंबर, कोरोना का था साया, 
हम भी बड़े थे, सीधे खड़े थे, 
जिद पे अड़े थे शादी आगे नहीं बड़ पाई,
 हमारी जिद को देख कर कोरोना हुआ फुर्र
 हुई शादी हमारी, 
आयी मम्मी की बहुरिया 
हमको मील गई नूपुर, 
लेकिन वो दस मई जाने कहा गई।
 समय का चक्र घूमता चला गया, 
हम भी घूमते गये, दस मई को भूलते गये, 
बहुरिया ने दी मम्मी को खुश खबरिया वल्लाह
 और दस मई को हमको हो गओ लल्ला, 
भूल रहे थे जीस 10 मई को 
वो हमको फिर से गई मिल ।

बुधवार, 9 अगस्त 2023

स्थानांतरण विदाई

 घर से निकले थे

अकेले

छोड़ के घर द्वार, 

मां के हाथ का खाना,

आंगन  सुहाना, 

बांध कर बोरी बिस्तर और बिछौना,

छूटे थे सारे रिश्ते नाते, भाई बहन की अठखेलियां

दोस्तो के साथ हंसना गाना,

गुजर बसर करना था, हमको था थोड़ा बहुत कमाना,

आ गए थे अनजान से शहर  में,

चेहरे भी थे सब अंजाने, 

पहले दिन की नौकरी से थोड़ा कुछ आपस में एक दूसरे को जान गए,

अंजाने चेहरे को भी पहचान गए।

एक परिवार को छोड़ कर कई परिवार को जान गए 

आज फिर एक घर को छोड़ कर अपने घर को चल पड़े है।

यादों की गठड़ी बांध कर अब हम विदाई ले रहे है।

By TK


रविवार, 6 अगस्त 2023

दोस्ती

 अनजान तेरा मेरा रास्ता था,

ना तू मेरा दोस्त था न मैं तेरा था,

चंद लम्हों में शुरू फिर वो दस्ता हुई

आहिस्ता आहिस्ता दोस्ती  की शुरुवात सी हुई

हाथ में हाथ डालकर मोहल्ले भर में फिरने लगे,

पढ़ते खेलते इस सफर में आगे बढ़ने लगे,

हम दोस्ती के नए नए आयाम गड़ने लगे,

घूमते फिरते खेलते हंसते गाते जश्न मनाने लगे,

हो खुशी, गम या कोई तकलीफ और कोई समस्या 

एक दूजे का साथ निभाने लगे,

पढ़ लिखकर बढ़ें हो कर, नौकरी व्यापार पाकर शहर शहर जाने लगे, 

दौड़ रहे है जिंदगी की आपाधापी में, समय का रोना रोने लगे है,

दोस्ती की यादों के पिटारे भरे पड़े है, 

पलटते है पन्ने पुराने अब दोस्ती के किस्से कहने लगे है।


By TK

मंगलवार, 1 अगस्त 2023

हुज़ूर


हुज़ूर को पसंद है, 

संप्रभुता आत्मप्रशंसा की अपनी, 

नजरों को उनकी ढक दे,

चाटुकारिता से इस कदर अपनी

गदगद हो जाए मन, 

हृदय हो उठे प्रफुल्लित 

मक्कारी को तू और बुलंद करदे,

तेरा ना किया भी, हो जाए किया तेरा 

कामचोरी की वो अब इबारत लिख दे तेरी,

हुज़ूर मूल्यांकन कर ही देंगे,

तू स्वमुल्यांकन तो कर ही ले तेरा, 

है जुड़ी आजीविका तेरी

कुछ तो न्याय अब इस कर्म से कर दे तेरा!!!


द्वारा: T.K.












मंगलवार, 18 जुलाई 2023

मौन

 तू शब्दों की आशा न रख, 

मेरे मौन को स्वीकार कर

शब्द तैरेंगे तो भावनाओं की ऊंची लहर उठेगी,

टकराएगी तेरे मन पटल पर तो गहरी चोट करेंगी 

मैं तो सागर हूं, असीमित हूं, गहरा हूं

जो भी देगा तू उसको में नील जाऊंगा 

तेरा दिया दुगना तुझको लोटाऊंगा।

छोड़ दे तू हठ, 

नदियों की शीतलता धारण कर

अहम का अपने तू बांध धर

विचारों के वेग को अपने कम कर

आ तू मुझमें आ मिल

आ तू मुझमें आ मिल

मेरे मौन को स्वीकार कर


टायसन कुशवाह