रविवार, 6 अगस्त 2023

दोस्ती

 अनजान तेरा मेरा रास्ता था,

ना तू मेरा दोस्त था न मैं तेरा था,

चंद लम्हों में शुरू फिर वो दस्ता हुई

आहिस्ता आहिस्ता दोस्ती  की शुरुवात सी हुई

हाथ में हाथ डालकर मोहल्ले भर में फिरने लगे,

पढ़ते खेलते इस सफर में आगे बढ़ने लगे,

हम दोस्ती के नए नए आयाम गड़ने लगे,

घूमते फिरते खेलते हंसते गाते जश्न मनाने लगे,

हो खुशी, गम या कोई तकलीफ और कोई समस्या 

एक दूजे का साथ निभाने लगे,

पढ़ लिखकर बढ़ें हो कर, नौकरी व्यापार पाकर शहर शहर जाने लगे, 

दौड़ रहे है जिंदगी की आपाधापी में, समय का रोना रोने लगे है,

दोस्ती की यादों के पिटारे भरे पड़े है, 

पलटते है पन्ने पुराने अब दोस्ती के किस्से कहने लगे है।


By TK

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