बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

10 मई कहा गई

हम थे तैयार, 
घोड़ी पर सवार, 
लाने को दुल्हनिया,
 मम्मी की बहुरिया, 
लेकिन घटा जाने क्यों बदल गई, 
10 मई को थी शादी हमारी,
 lockdown आया और आगे खिसक गई, 
कितनी बेसब्री थी मिलने की उनसे, 
वो और बड़ गई, 
वो दस मई जाने कहा गई, 
आया दिसंबर, कोरोना का था साया, 
हम भी बड़े थे, सीधे खड़े थे, 
जिद पे अड़े थे शादी आगे नहीं बड़ पाई,
 हमारी जिद को देख कर कोरोना हुआ फुर्र
 हुई शादी हमारी, 
आयी मम्मी की बहुरिया 
हमको मील गई नूपुर, 
लेकिन वो दस मई जाने कहा गई।
 समय का चक्र घूमता चला गया, 
हम भी घूमते गये, दस मई को भूलते गये, 
बहुरिया ने दी मम्मी को खुश खबरिया वल्लाह
 और दस मई को हमको हो गओ लल्ला, 
भूल रहे थे जीस 10 मई को 
वो हमको फिर से गई मिल ।

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