तू शब्दों की आशा न रख,
मेरे मौन को स्वीकार कर
शब्द तैरेंगे तो भावनाओं की ऊंची लहर उठेगी,
टकराएगी तेरे मन पटल पर तो गहरी चोट करेंगी
मैं तो सागर हूं, असीमित हूं, गहरा हूं
जो भी देगा तू उसको में नील जाऊंगा
तेरा दिया दुगना तुझको लोटाऊंगा।
छोड़ दे तू हठ,
नदियों की शीतलता धारण कर
अहम का अपने तू बांध धर
विचारों के वेग को अपने कम कर
आ तू मुझमें आ मिल
आ तू मुझमें आ मिल
मेरे मौन को स्वीकार कर
टायसन कुशवाह
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