रविवार, 18 जून 2023

खामोशी

 खामोशियां मेरी यूंही खामोश रहेगी ।

तू सुनने को इन्हे वक्त यू ना ज़ाया कर

सुन न सकेगा तू एक लफ्ज़ भी 

तू मेरी मत कह, अपनी ही सुनाया कर।

बदल जायेंगे शब्द तेरे भी

तू मेरी हां में हां मत मिलाया कर

मैं कह ना सकूंगा दर्द तेरा 

तू अपने किस्से खुद ही सुनाया कर।।

दर्द पाल के मत रख मेरे दोस्त 

कह दे आज जो तेरे दिल में है 

दरिया ए दर्द को समुंदर ना बनाया कर।

By TK

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