आंचल में छुपाया मुझको
पिता ने कांधे पर बैठाया
बाहों में उठाया मुझकों
भूख लगी तो खिलाया
धूप लगी तो बचाया मुझकाें
माँ ने फुसलाकर सिखाया
पिता ने डांट कर समझाया मुझकों
संस्कारवान बनाया, आदर सिखाया,
अच्छे बुरे का फर्क बताया मुझकों
हर दुख से दूर किया, खुशियों से नहलाया मुझकों
ममता और प्यार से सींच माता पिता ने मेरे
पौधे से पेड़ बनाया मुझको।
टायसन कुशवाह
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