कभी गिरे तो कभी संभालते गए
कभी भटके राह तो कभी रास्ते मिलते गए।।
कभी मिली गम की धूप तो
कभी खुशियों की छांव मिलती गयी
मीलों चले तन्हा अकेले तो कभी
तो कभी हमसफर मिलते गए
कभी हम अपनी कहते गए
तो कभी उनकी सुनते गए
देते रहे साथ कुछ हमसफर
तो कुछ बिछड़ते चलें गए
कुछ की चाहते थे रोकना हम तो
कुछ दूर होते चले गए
तन्हा चले थे हम तन्हा ही रह गए
एक मुसाफ़िर की तरह हम यूंही चलते गए
एक मुसाफ़िर टायसन कुशवाह
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